सारी दुनिया को सर्जरी की देन भारत ने दी -:राजीव दीक्षित


हमारी आयुर्वेद चिकित्सा में एक बड़े महान व्यक्ति हुए, जिनका नाम था महर्षि चरक इन्होने सबसे ज्यादा रिसर्च इस बात पर किया कि जड़ी बूटियों से क्या क्या बीमारियाँ ठीक होती है या पेड़ पोधों से कौन सी बीमारियाँ ठीक होती है पेड़ों के पत्तों से कौन सी बीमारियाँ ठीक होती है, उस पर उन्होंने सबसे ज्यादा रिसर्च किया उसके बाद एक और ऐसे ही व्यक्ति हुए महर्षि शुश्रुक उन्होंने इस पर काम किया कि शरीर के किसी भी अंग में जरुरत से ज्यादा ऐसी कोई ग्रोथ या बढोतरी हो जाए, जैसे ट्यूमर या गाँठ हो गयी इसको कैसे काट कर निकला जाए उन्होंने सर्जरी पर सबसे ज्यादा काम किया आपको शायद ये जानकर आश्चर्य होगा और ख़ुशी भी होगी कि सर्जरी का अविष्कार इसी देश में हुआ यानी भारत में हुआ, सारी दुनिया ने सर्जरी भारत से सीखी ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मिनी ने यहीं से सर्जरी सीखी, अमेरिका में तो बहुत बाद में आयी सर्जरी और ब्रिटेन ने भारत से 400 साल पहले सर्जरी सीखी ब्रिटेन के डॉक्टर यहाँ आते थे और सर्जरी सीख कर वापिस जाते थे आपको शायद सुनकर आश्चर्य होगा कि आज से 400 साल पहले भारत में सर्जरी के बहुत बड़े विश्विद्यालय(यूनिवर्सिटी) चला करते थे हिमाचल प्रदेश में एक जगह है कांगड़ा यहाँ सर्जरी का सबसे बड़ा कॉलेज था एक और जगह है भरमौर, हिमाचल प्रदेश में ही, वहां एक दूसरा बड़ा केंद्र था सर्जरी का ऐसे ही एक तीसरी जगह है, कुल्लू, वहां भी एक बहुत बड़ा केंद्र था. अकेले हिमाचल प्रदेश में 18 ऐसे केंद्र थे फिर उसके बाद गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र में सम्पूर्ण भारत में सर्जरी के एक हजार दो सौ के आसपास केंद्र थे. यहाँ अंग्रेज आकर सीखते थे आपको जानकर ख़ुशी होगी लंदन में एक बहुत बड़ी संस्था है जिसका नाम है फेलो ऑफ़ थे रॉयल सोसाइटी ऑफ़ लंदन(FRS) इस संस्था की स्थापना उन डॉक्टरों ने की थी जो भारत से सर्जरी सीख कर गये थे और उनमें से कई डॉक्टर्स ने मेमुआर्ट्स लिखे हैं. मेमुआर्ट्स माने अपने मन की बात तो उन मेमुआर्ट्स को अगर पढ़े तो इतनी ऊँची तकनीक के आधार पर सर्जरी होती थी आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि 400 साल पहले इस देश में रहिनोप्लास्टिक होती थी रहिनोप्लास्टिक मतलब शरीर के किसी अंग से कुछ भी काट कर नाक के आसपास के किसी भी हिस्से में उसको जोड़ देना और पता भी नही चलताएक कर्नल कूट अंग्रेज की डायरी में लिखा हुआ कि उसका 1799 में कर्नाटक में हैदर अली के साथ युद्ध हुआ हैदर अली ने उसको युद्ध में पराजित कर दिया हरने के बाद हैदर अली ने उसकी नाक काट दी हमारे देश में नाक काटना सबसे बड़ा अपमान है तो हैदर अली ने उसको मारा नही चाहे तो उसकी गर्दन काट सकता था. हराने के बाद उसकी नाक काट दी और कहा कि तुम अब जाओ कटी हुई नाक लेकर कर्नल कूट कटी हुई नाक लेकर घोड़े पर भागा, तो हैदर अली की सीमा के बाहर उसको किसी ने देखा कि उसकी नाक से खून निकल रहा है, नाक कटी हुई है हाथ में थी. तो जब उससे पूछा कि ये क्या हो गया तो उसने सच नही बताया तो उसने कहा कि चोट लग गयी है तो व्यक्ति ने कहा कि ये चोट नही है तलवार से काटी हुयी है तो कर्नल कूट मान गया की हाँ तलवार से कटी है उस व्यक्ति ने कर्नल कूट से कहा कि तुम अगर चाहो तो हम तुम्हारी नाक जोड़ सकते है. तो कर्नल कूट ने कहा की ये तो पुरे इंग्लैंड में कोई नही कर सकता तुम कैसे कर दोगे तो उसने कहा कि हम बहुत आसानी से कर सकते है तो बेलगाँव में कर्नल कूट के नाक को जोड़ने का ऑपरेशन हुआ उसका करीब तीन साढ़े तीन घंटे ऑपरेशन चला वो नाक जोड़ी गयी फिर उसपर लेप लगाया गया 15 दिन उसको वहां रखा गया 15 दिन बाद उसकी छूटी हुयी, 3 महीने बाद वो लंदन पहुंचा तो लंदन वाले हैरान थे कि तुम्हारी नाक तो कहीं से कटी हुई नही दिखती तब उसने लिखा कि ये भारतीय सर्जरी का कमाल है तो ये जो सर्जरी हमारे देश में विकसित हुई इसके लिए महर्षि शुश्रुक ने बहुत प्रयास किये तब जाकर ये सर्जरी भारत में फैली



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