देश जातियों से चलता कि संविधान से !

समझ में नहीं आ रहा ...
ये देश जातियों से चलता कि संविधान से !
अगर संविधान से देश चलता है तो जाती का सर्टिफिकेट क्यो .??औरजाती के सर्टिफिकेट से संविधान चलता है तो संविधान क्यो. ??पता नहीं इस देश में जाती से संविधान है या संविधान से जाती.अगर संविधान से जाती है तो भारत धर्मनिरपेक्ष कैसे ??भारत देश अगर धर्मनिरपेक्ष है तो जाती के आधार पर आरक्षण क्यो ..??संविधान प्रस्तावना मेे कहता है ' हम भारतीय धर्मनिरपेक्ष लोग ' और यहां आरक्षण ( भिक् ) के लिए जाती का सर्टिफिकेट देना पड रहा है , फिर ये देश धर्मनिरपेक्ष कैसे रहा !


मुझे लगता है संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष हटाकर जातिवादी भीकारि लोग हमें जाती के आधार पर आरक्षण मिलना चाहते ऐसा प्रस्तावना मेे लिखना चाहिए.
संविधान की ऐसी दोगली पोपट पंची के कारण इस देश का सत्यानाश हो गया !आरक्षण कुल Sc_ 9% जाती एकObc _ 27% जाती अनेक ! तेली, माली, वट्टि, खाती , सोनार, लोहार, कुनबी, सुतार, लगभग तीन हजार के ऊपर जातिया ! आरक्षण 0,0,0


 


Post a Comment

0 Comments