गोमाता के लिए संग्राम

*गोमाता के लिये संग्राम *
२६ मई २०१७ को भाजपा सरकार के केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मन्त्रालय ने *"पशुओं के खिलाफ क्रूरता रोकथाम नियम २०१७"* अधिसूचित कर दिया था। इस प्रावधान के अन्तर्गत गाय, बैल, सांड, बछिया, बछड़े, भैंस और ऊंट को बाजार में लाकर हत्या के लिये क्रय विक्रय करने पर विराम लगा दिया गया है।
इस कानून के विरुद्ध, स्वभाव से क्रूर राजनेता व राजनैतिक दल एकत्रित हो रहे हैं। यदि गाय  आदि पशुओं का भी मत होता तो ये उनके मतों के प्रलोभन में ऐसा अमानवीय कार्य कभी न करते। अपनी अमानवीयता में अन्धे ये मनुष्य देहधारी जीव ऐसे ऐसे कुतर्क करते रहते हैं कि जिन्हें सुनकर किस पशु का शिर शर्म से न झुक जाये। हमारी ओर से तो देव दयानन्द के शब्दों में इनके समक्ष यही प्रश्न निकलता है कि - *"हे मांसाहारियो! तुमको जब पशुओं का मांस नहीं मिलेगा तब तुम मनुष्यों का मांस भी छोड़ोगे वा नहीं ?"*
इन राजनैतिक दलों में कांग्रेस अग्रणी रहती ही है।इस दल की अध्यक्षा सोनिया गांधी व उनके पुत्र कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने आचरण से स्वभावतः वैदिक धर्म के विपरीत रहते ही हैं। इसी कारण केरल में कुछ युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार के विरोधस्वरूप २७ मई २०१७ को सार्वजनिक रूप से एक बछड़े को मारकर अहिंसकों के लिये हृदयविदारक कार्य किया। इसी प्रकार ममता आदि अन्य नेता भी इस कानून को चुनौती दे रहे हैं। ये सभी नाना कारणों से भारी कष्ट में हैं।
हे हिन्दुओ ! तुम पहले जातियों के नाम पर जिन नेताओं को अपना अमूल्य मत देते थे उनके विषय में विचार करो कि क्या वे गोमाता के समर्थन में हैं? गम्भीरता से विचार करने पर पता चलेगा कि वे सभी विरोध में हैं।जब वे स्वयं मांसाहारी हैं तो विरोध में क्यों न हों? आओ मिलकर इन सबकी वास्तविकता को समझें व गोमाता के समर्थन में हम अपनी ध्वनि से आकाश को गुंजाते हुए धर्म, संस्कृति व देश की रक्षा के पक्ष में कटिबद्ध हों ।इससे प्रभु का प्रसाद प्राप्त होगा। यतो धर्मस्ततो जय: अर्थात् यह विश्वास रखो कि जहां सत्य है वहां विजय है।


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